50+ Heart Touching Mirza Ghalib Shayari in Hindi : मिर्जा गालिब शायरी इन हिंदी 2023
नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए बेस्ट हार्ट टचिंग मिर्जा गालिब शायरी इन हिन्दी ( Heart Touching Mirza Ghalib Shayari in Hindi ) लेकर आए हैं। आगे बढ़ने से पहले हम इस शायर के बारे में आपको कुछ जानकारी देना चाहते हैं। उर्दू कवि मिर्ज़ा ग़ालिब, जिनका वास्तविक नाम मीर तकी मीर था, इन्होंने 18वीं शताब्दी के दौरान अपनी प्रशंसित शायरी की रूपरेखा स्थापित की। उनका जन्म 27 दिसंबर, 1797 को हुआ था और उनकी मृत्यु 15 फरवरी, 1869 को हुई थी। उनकी शायरी उर्दू साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है, और उन्हें "शायर-ए-आज़म" (महान कवि) के रूप में भी जाना जाता है। उनकी शायरी में प्यार, दर्द, आत्मविश्वास और जिंदगी की हकीकतों पर गहरा असर है।
हमने हार्ट टचिंग मिर्ज़ा गालिब शायरी के बारे में चर्चा की। हमने उनके जीवन, शायरी की रूपरेखा, और उनकी शायरी के प्रभाव पर विचार किए। मिर्ज़ा गालिब की शायरी अब भी हमारे दिलों को छूने का कारण है और उन्हें एक महान कवि के रूप में सतत प्रशंसा की यात्रा जारी रहेगी।
हार्ट टचिंग मिर्जा गालिब शायरी इन हिन्दी ( Heart Touching Mirza Ghalib Shayari in Hindi ) 2023 :-
यों ही उदास है दिल बेकरार थोड़ी है, मुझे किसी का कोई इंतज़ार थोड़ी है.।
आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए, साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था।
हाथों की लकीरों पे मत जा ऐ गालिब, नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते।
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल, जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।
वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं!
कभी हम उनको, कभी अपने घर को देखते हैं।
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है।
हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया पर याद आता है,
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता।
उम्र भर ग़म नहीं पायेंगे, जो आँख से गिर जायेगा वो सब नम नहीं होता।
इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया, वरना हम भी आदमी थे काम के।
हर एक बात पे कहते हो तुम के तू क्या है, तुम्हीं कहो के ये अंदाज़े ग़ालिब क्या है।
Mirza Ghalib Shayari In Hindi, मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी :-
कहाँ मायुस हुए लोग तेरी ज़ुस्तुजू की, मुझे तो तेरी वफ़ा ने लूटा है मुझको क्या ज़रूरत है जहाँ की चीज़ों की, तुझसे ख़ूबसूरत तो तेरी याद है।
हमें पता है तुम कहीं और के मुसाफिर हो, हमारा शहर तो बस यूं ही रास्ते में आया था।
मौत पर भी मुझे यकीन है तुम पर भी एतबार हैं, देखना है पहले कौन आता है हमें दोनों का इंतजार हैं।
तुम ना आए तो क्या सहर ना हुई, हां मगर चैन से बसर ना हुई, मेरा नाला सुना जमाने ने, एक तुम हो जिसे खबर ना हुई।
जला है जिस्म जहां दिल भी जल गया होगा, कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है।
कोई मुद्दत की गालिब मर गया पर याद आता है, वह हर एक बात पर कहना कि यूं होता तो क्या होता।
कौन पूछता है पिंजरे में बंद पक्षी को ग़ालिब ..
याद वही आते है जो छोड़कर उड़ जाते है !!
मुझसे कहती है सादा तेरे साथ राहूंगी ..
बोहोत प्यार करती हैं मुझसे उदासी मेरी !!
दिल ए नादाँन तुझे हुआ क्या है !!!
आख़िर ईस दर्द कि दवा क्या हैं ॥॥॥
इशरत ऐ क़तरा है दरिया मैं फ़ना हो जाना…
दर्द का हद् से गुज़ारना हैं दवा हो जाना ॥
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मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी, Mirza Ghalib Shayari in Hindi, Mirza Ghalib Ki :-
बना है शह का मुसाहिब, फिरे है इतराता, वगर्ना शहर में “ग़ालिब” की आबरू क्या है।
कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता, तुम न होते न सही ज़िक्र तुम्हारा होता।
तुम न आए तो क्या सहर न हुई,
हाँ मगर चैन से बसर न हुई,
मेरा नाला सुना ज़माने ने,
एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई।।
न था कुछ तो खुदा था, कुछ न होता तो खुदा होता।
डुबोया मुझको होने ने, न मैं होता तो क्या होता।।
बिजली इक कौंध गयी आँखों के आगे तो क्या,
बात करते कि मैं लब तश्न-ए-तक़रीर भी था।
यही है आज़माना तो सताना किसको कहते हैं,
अदू के हो लिए जब तुम तो मेरा इम्तहां क्यों हो।
हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
दिल के खुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है।
इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’,
कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे।
तुम न आए तो क्या सहर न हुई
हाँ मगर चैन से बसर न हुई
मेरा नाला सुना ज़माने ने
एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई।
दिल से तेरी निगाह ज़ियाँ तो सदके, कुछ इस क़दर भी हम कमज़ोर न होते।
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Mirza Ghalib shayari in Hindi | मिर्जा गालिब शायरी इन हिंदी :-
ग़म-ए-जहाँ से गुज़र जाने के बाद, ख़ुशी तो बहुत थी मगर उससे कम थीं।
दिल लगी की ना कीजिए, कर कम परेशानी में, कभी आप भी ख़्वाबों में आया करते होंगे।
बज़्म-ए-शायरी में ख़ूब जमते हैं बुल्बुलें, हम होते हैं उनके उल्लू, वो हमारी अहमियत समझते हैं।
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमाँ, लेकिन फिर भी कम निकले।
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।
इश्क पर जोर नहीं है यह वह आतिश ग़ालिब, कि लगाए न लगे और बुझाए ना बने।
तु मिला है तो यह एहसास हुआ है मुझको, यह मेरी उम्र मोहब्बत के लिए थोड़ी हैं।
ना सुनो घर बुरा कहे कोई ना, कहो घर बुरा करे कोई, रोक लो घर गलत चले कोई, बख्श दो गर खता करे कोई।
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल, जब आंख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।
इक शौक़ बड़ाई का अगर हद से गुज़र जाए,
फिर ‘मैं’ के सिवा कुछ भी दिखाई नहीं देता।
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Heart touching Mirza ghalib shayari in Hindi 2023 | हार्ट टचिंग मिर्जा :-
ये रश्क है कि वो होता है हमसुख़न हमसे।
वरना ख़ौफ़-ए-बदामोज़ी-ए-अदू क्या है।।
बना है शह का मुसाहिब, फिरे है इतराता।
वगर्ना शहर में “ग़ालिब” की आबरू क्या है।।
तेरे ज़वाहिरे तर्फ़े कुल को क्या देखें।
हम औजे तअले लाल-ओ-गुहर को देखते हैं।।
कहाँ मय-ख़ाने का दरवाज़ा ‘ग़ालिब’ और कहाँ वाइज़।
पर इतना जानते हैं कल वो जाता था कि हम निकले।।
निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन।
बहुत बे-आबरू हो कर तिरे कूचे से हम निकले।।
कितना खौफ होता है शाम के अंधेरे में, मूंछ उन परिंदों से जिनके घर नहीं होते।
मेरी मोहब्बत तेरा फलसफा तेरी कहानी मेरी जुबानी, अब किस-किस को हम ना करते यकीन मानो अब यह हां में भी ना है।
ग़ालिब की शायरी हिंदी में - Ghalib Shayari | Heart Touching Mirza :-
बेवजह नहीं रोता इश्क में कोई गालिब, जिसे खुद से बढ़कर चाहो वह रुलाता जरूर है।
आता है कौन-कौन तेरे गम को बांटने गालिब, तू अपनी मौत की अफवाह उड़ा के देख।
कहते हैं जीते हैं उम्मीद पर लोग, हमको जीने की भी उम्मीद नहीं है।
ये हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं।
कभी सबा को, कभी नामाबर को देखते हैं।।
वो चीज़ जिसके लिये हमको हो बहिश्त अज़ीज़।
सिवाए बादा-ए-गुल्फ़ाम-ए-मुश्कबू क्या है।।
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है।
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है।।